बढ़े चलो, आह्वाहन है एक नए युग की बुनियाद का,
सुनो शंख नाद, जाग उठा है, आज के हिंद का युवा,
बुलंद करने को सशक्त शब्दों में आवाज़ अपनी -
परहेज नही, इनकार नही, निज भाषा से आज उसे,
मोहताज नही, दरकार नही, परभाषा की आज उसे,
उसे नाज़ है अपने वजूद पर, अपने संस्कारों पर,
उसकी जीत सुनिश्चित है, उसका नारा अचूक है -
बढ़े चलो..... बढ़े चलो......
( " बढ़े चलो " की गूँज सुनने के लिए,उपरोक्त पोस्टर पर क्लिक करें )
9 टिप्पणियां:
bhut badhiya hai.
bahut sundar abhivaykti hai. desh ke noujawano badhe chalo. achchi rachana badhai.
सुंदरतम अभिव्यक्ति।
मेने आगे जा कर यह पुरा गीत सुना.. आज के हिंद का युवा हू...,सच मे सुभाष चन्द्र जी की याद आ गई मेने उन्हे टीवी पर कई देखा हे, सुना हे, बहुर ही सुन्दर ओर जीवन से भरपुर गीत हे,
blog ka naam achha hai bhaisaahab
बहुत सुंदर. "एक याद" तो बहुत ही अच्छी लगी.
Hello Sanjeev ji,
As an opportunity, I saw your great Blog and I have no words to comments that you have written with just a good sense of literature and you used your words where they should be used.
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...Ravi
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pahli bar idhar aana saarthak hi hua.
bahut sukhad ehsaas se pulkit kar deti hain aapki rachnayein.
sampark bana rahe ham-sab ka,
aap aisa hi likhte-gungunate rahen
yahi dua hai
bahut badhiyaa!
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