बढ़े चलो, आह्वाहन है एक नए युग की बुनियाद का,
सुनो शंख नाद, जाग उठा है, आज के हिंद का युवा,
बुलंद करने को सशक्त शब्दों में आवाज़ अपनी -
परहेज नही, इनकार नही, निज भाषा से आज उसे,
मोहताज नही, दरकार नही, परभाषा की आज उसे,
उसे नाज़ है अपने वजूद पर, अपने संस्कारों पर,
उसकी जीत सुनिश्चित है, उसका नारा अचूक है -
बढ़े चलो..... बढ़े चलो......

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