कुछ पल जिन्दगी जैसे, जिंदगी के ही दामन से चुरा लिए मैंने । उन्ही जीवंत पलों को शब्दों मे पिरो कर पेश कर रहा हूँ। ये महफ़िल है मेरे दिल की, यहाँ कुछ गीत मिलेंगे सुर छेड़ते हुए, कुछ गज़लें होंगी हाथों मे जाम लिए, कुछ कवितायेँ भी मिलेंगी गहरी आँखों वाली, कुछ किस्से कुछ किरदार, इनमे से कुछ भी अगर आपके दिल को छू पाये तो खुशकिस्मत समझूंगा अपने आप को ....
ताज़ा गीत- love Story
16.7.07
मिलन
हम मिलते रहे,
रोज मिलते रहे,
तुमने अपने चहरे के दाग,
घूँघट में छुपा रखे थे,
मैंने भी सब जख्म अपने ,
कपड़ों से ढांप रखे थे,
मगर हम मिलते रहे- रोज नए चहरे लेकर,
रोज नए जिस्म लेकर ।
आज - तुम्हरे चहरे पर पर्दा नही,
आज- मेरा जिस्म भी बेपर्दा है,
आज- हम और तुम हैं, जैसे दो अजनबी ।
दरअसल , हम मिले ही नही थे अब तक,
देखा ही नही था कभी,
एक दूसरे का सच ।
आज मगर कितना सुन्दर है - मिलन
आज -जब मैंने चूम लिए तुम्हारे चहरे के दाग,
और आज - तुमने भी तो रख दी है,
मेरे जख्मों पर,- अपने होंठों की मरहम ।
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15 टिप्पणियां:
आज मगर कितना सुन्दर है - मिलन
आज -जब मैंने चूम लिए तुम्हारे चहरे के दाग,
और आज - तुमने भी तो रख दी है,
मेरे जख्मों पर,- अपने होंठों की मरहम ।
बहुत अच्छे भाव!
संजीव जी,बहुत सुन्दर!बढिया रचना है।बधाई।
आज - तुम्हरे चहरे पर पर्दा नही,
आज- मेरा जिस्म भी बेपर्दा है,
आज- हम और तुम हैं, जैसे दो अजनबी ।
दरअसल , हम मिले ही नही थे अब तक,
देखा ही नही था कभी,
एक दूसरे का सच ।
milan ishi ko kahte hain sanjeev sir.....qismat waale hain ap...
सांकेतिक स्वर में गहरा सच…। सुंदर रचना…॥
बहुत सुंदर तरीके से कहा आपने अच्छा लगा पढ़कर...
शानू
अच्छी रचना है. बधाई.
बेहतरीन रचना. बधाई.
जीवन के एक यथार्थ को, कई लोगों के एक अनुभव को, एक विशेष कोण से आपने प्रस्तुत किया है.
Sajeev ji badhaai
badhe saleeke se bahut kutch keh gaye aap...bahut hi sunder rahaa hoga yeh ahsaas
aap bhut jyada umda likhte hai..mujhe apse seekne ko milta hai.....
बेहतरीन रचना. बधाई.
वाह..बढिया..बहुत बढिया..सुन्दर अभिव्य्क्ति के साथ एक बेहतरीत ताजा रचना..बधाई.
यही मिलन है । बाकी सब भ्रम है।
बहुत सुंदर।
बहुत ही बढिया चित्रण
bahut khuub....
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