तुम भी जानते हो ऐ दोस्त,
मेरे अतीत के हसीं लम्हों में,
तुम रहोगे हमेशा शामिल,
तुम्हारी यादों का मौसम है,
मेरे जीवन सफर का हासिल,
मगर दोस्त, लगता है अब,
वक्त आ गया है अलविदा कहने का,
इस मुसफिरे गर्दिश के चलने का...
हम चले थे धूप में,
सफर कट गया बातों में,
छाँव आई, तुम ठहर गए, थम गए,
पर मुझे तो थमना आता ही नहीं,
पिंजरा सुख का हो,
या कैद सकूं की,
प्यारी नहीं मुझे कुछ भी,
अपनी आजादी से,
मुझे तो अभी जाना है, बहुत दूर,
जहाँ अम्बर धरती का चुम्बन करता हो,
जहाँ सागर की सीमायें मिलती हो,
मैं थक नहीं सकता,
सफर थम नहीं सकता,
शायद सांसों की आखिरी तपिश ही,
मेरा हो अंतिम पड़ाव,
तुम अगर चल सको तो चलो साथ,
मगर मैं जिद नहीं करूँगा,
न तुम ही मुझे रोकना,
जाने फिर कभी, इस तरफ,
लौटना हो या न हो,
अलविदा दोस्त अलविदा.....
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