कहिये क्या लेना चाहेंगें आप,
सोना चांदी तो हर कोई खरीदता है,
आईये मुझसे लीजिए,
कुछ ज़ज्बे, कुछ सपने,
कुछ दर्द, कुछ आँसू,
जी हाँ, बहुत कुछ है मेरे पास,
आपके वास्ते,
मगर आप तो ठहरे,
पढ़े लिखे शरीफ खरीदार,
तो आप ये लीजिए -
मजलूमों पर जुल्म की तस्वीरें,ये सब ही तो है,
निहत्थों की हत्या की मिसालें,
भूख और बहाव का नंगा तांडव,
बेकसूरों की जिंदा मौत की दास्ताँ
जिन्हें आप सुबह सवेरे,
जेहन में सहेजते हो,
दोपहर को लंच के साथ निगलते हो,
रात को डिनर में चख कर सो जाते हो,
सुनते हो, समझते हो,
मोल चुकाते हो,
मगर क्या पाते हो,
खैर मेरे पास भी समय नहीं है,
किसी के पास भी समय नहीं है,
तो जल्दी फैसला कीजिये जनाब,
क्या लेना चाहेंगें आप...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें