ताज़ा गीत- love Story

12.3.12

तिमिर का श्राप

तुम कहो तो कहो इसे
तिमिर का श्राप,
पर मैंने कभी अंधकार से कुछ छीना नहीं है,
न ही कभी उसके अस्तित्व को नकारा है,
हाँ बस घुटने नहीं टेके कभी ,
उसके बाहुबल के आगे,
न होने दिया हावी उसे कभी अपने वजूद पर,
मेरे इरादों, मेरे हौंसलों की
ये नन्हीं सी लौ,
झुकाती रही, तोडती रही,
उसके अहंकार का दंश,

मगर हर बार उसी की विजय हो,
ये किस किताब में लिखा है भला.

1 टिप्पणी:

S.VIKRAM ने कहा…

Waah......kya bhaav kya shabd!!!