ओस की बूंदों में नहाया,
किरणों के स्पर्श से महका फूल वो,
किस कदर हसीं है, - कहते रहे लोग.
दूर खड़े होकर बड़े चाव से उसे,
निहारते रहे लोग.
तोड़ उसे अपनी झोली में डालने को,
मचलते रहे लोग,
टूट कर जमीन पर मगर,
बिखर गया आज जब वो फूल तो,
पंखुड़ियों को उसके,
क़दमों से अपने,
कुचलते गए - लोग
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