गुमनामियों से तो बदनामियाँ अच्छी,
बदनाम हैं - पर नाम तो है,
"आम" कहलाये जाने वाले लोग,
आपकी चर्चा में मशगूल तो हैं,
दस में से कम से कम,
कोई एक 'बुद्धिजीवी' जन
आपके फन का 'फैन' भी जरूर होगा,
आपको अखबारों के पन्नों पर,
खास जगह हासिल है,
आप इडियट बॉक्स में परदे पर भी,
सुबह शाम छाये रहते हैं,
एक पूरा जनसमुदाय, आप पर नज़रें गढाए है,
और लोग भी अब समझदार हो गए हैं,
वो आपको दुत्कारेंगें नहीं,
बल्कि आपको सर आँखों पे बिठायेगें,
आने वाली पीढ़ी आपसे रहनुमाई लेंगीं...
और यूँ भी,
अछे बुरे के समीकरण,
अब बदल चुके हैं,
पुराने फ़ार्मुलों से जमा घटा कर,
आपने जिन्हें बुरा कहा,
उन्हें देखिये, आज कितने ऊँचे ओहदे पर हैं,
और जिन्हें आप अच्छा समझते रहे,
वो भी अंदर ही अंदर मुल्क को खोखला करते रहे,
तो जनाब, अरे किस सोच में हैं आप,
अरे उतार फेंकिये, इन मुई गुमनामियों को,
और....
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