इस आवारगी का भी लो लुत्फ़ यारों,
जवानी को गंवाओ न यूँ मुफ़्त यारों,
बंद कमरों में बैठकर भला क्या सीखोगे,
निकल कर बाहर तो देखो वक्त यारों,
शिकारी भी यहाँ है, भेष में शिकार के,
रखना ज़रा अपनी नज़र चुस्त यारों,
नहीं है जो उसे, भूल जाना है बेहतर,
जो मिला है उसी में रहो मस्त यारों
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