जिंदा है यूँ तो लोग,
खुद को भी मारकर,
जीना भी क्या मगर,
जग से यूँ हार कर,
सबसे जुदा हो तुम,
राहें अपनी चुनो,
मुश्किल नहीं है कुछ भी,
ज़रा देखो तो ठानकर,
देखो अब जहान को,
एक नयी नज़र से तुम,
झूठे धरम रिवाजों का,
चश्मा उतार कर,
जिसने तुम्हें सिखाया,
लहू से लहू जुदा है,
किरणें नयी चुनो उन,
किताबों को फैंक कर
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