बहुत सालों पहले जिन्दगी को समझने की एक कोशिश में मिली थी ये ग़ज़ल ... पेश ए नज़र है यारों ।
दर्द की एक दास्ताँ है जिन्दगी,
मौत का ही तो आइना है जिन्दगी ।
सच की पथरीली जमी पर,
झूठ का एक आसमा है जिन्दगी ।
दोस्तो से अजनबी और,
दुश्मनों से आशना है जिन्दगी ।
वक़्त बहता पानी है और,
बूँद का एक बुलबुला है जिन्दगी ।
हर कदम अंधा सफ़र है,
हादसों का सिलसिला है जिन्दगी ।
आपका दोस्त आपका साथी - सजीव सारथी
7 टिप्पणियां:
हर कदम अंधा सफ़र है,
हादसों का सिलसिला है जिन्दगी ।
very true and realistic
सजीव जी..
बहुत ही अच्छी गज़ल है।
दर्द की एक दास्ताँ है जिन्दगी,
मौत का ही तो आइना है जिन्दगी ।
वक़्त बहता पानी है और,
बूँद का एक बुलबुला है जिन्दगी ।
वाह!!!!
*** राजीव रंजन प्रसाद
सुंदर रचना, बधाई!
thank you rachna , you are here for the first time i think, and offcourse a huge thanks to my pal rajeev and sameer bhai saab
सच की पथरीली जमी पर,
झूठ का एक आसमा है जिन्दगी ।
दोस्तो से अजनबी और,
दुश्मनों से आशना है जिन्दगी ।
bahut hi sundar hai ji yah
waqth bhata pani hai aur
bund ka aak bulbula hai zindagee
we all view life this way but a poet has special ability to cloth ordinary thoughts in beautiful expressions............and this differentiates you from many.....
हर कदम अंधा सफ़र है,
हादसों का सिलसिला है जिन्दगी।
बहुत सुन्दर
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