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22.6.07

जिन्दगी

बहुत सालों पहले जिन्दगी को समझने की एक कोशिश में मिली थी ये ग़ज़ल ... पेश ए नज़र है यारों ।

दर्द की एक दास्ताँ है जिन्दगी,
मौत का ही तो आइना है जिन्दगी ।

सच की पथरीली जमी पर,
झूठ का एक आसमा है जिन्दगी ।

दोस्तो से अजनबी और,
दुश्मनों से आशना है जिन्दगी ।

वक़्त बहता पानी है और,
बूँद का एक बुलबुला है जिन्दगी ।

हर कदम अंधा सफ़र है,
हादसों का सिलसिला है जिन्दगी ।


आपका दोस्त आपका साथी - सजीव सारथी

7 टिप्‍पणियां:

Rachna Singh ने कहा…

हर कदम अंधा सफ़र है,
हादसों का सिलसिला है जिन्दगी ।
very true and realistic

राजीव रंजन प्रसाद ने कहा…

सजीव जी..

बहुत ही अच्छी गज़ल है।

दर्द की एक दास्ताँ है जिन्दगी,
मौत का ही तो आइना है जिन्दगी ।

वक़्त बहता पानी है और,
बूँद का एक बुलबुला है जिन्दगी ।

वाह!!!!

*** राजीव रंजन प्रसाद

Udan Tashtari ने कहा…

सुंदर रचना, बधाई!

Sajeev ने कहा…

thank you rachna , you are here for the first time i think, and offcourse a huge thanks to my pal rajeev and sameer bhai saab

रंजू भाटिया ने कहा…

सच की पथरीली जमी पर,
झूठ का एक आसमा है जिन्दगी ।

दोस्तो से अजनबी और,
दुश्मनों से आशना है जिन्दगी ।

bahut hi sundar hai ji yah

Dorothi ने कहा…

waqth bhata pani hai aur
bund ka aak bulbula hai zindagee

we all view life this way but a poet has special ability to cloth ordinary thoughts in beautiful expressions............and this differentiates you from many.....

Yatish Jain ने कहा…

हर कदम अंधा सफ़र है,
हादसों का सिलसिला है जिन्दगी।

बहुत सुन्दर