आज भी इतने करीब है तू
कि महसूस कर सकता हूँ हर सिम्त तुझे
आज भी यकीन है मुझे
कि दौड़ा चला आएगा तू
मेरी बस एक पुकार पर
गर ठोकर खाऊंगा
तो गिरने से पहले ही तू
मुझे थाम लेगा बढ़ कर
आज भी इतने करीब है तू कि
वो सब बातें जो
कह नहीं पाता किसी से
बस तुझी को बता पाता हूँ मैं
कुछ मर्म जो छुपता हूँ
अक्सर खूद से भी
बस तुझी से छुपा नहीं पाता हूँ मैं
पर कभी जब हुआ करता था तू
कहीं बादलों के पार तब
मेरी आँखों में हर पल बसा करता था
बेमतलब बहते आंसुओं में
बेवजह की उन मुस्कुराहटों में
तू बरबस ही मुझे मिलता था
तब जब कुछ था ही नहीं छुपाने को
बातें कितनी होती थी बतियाने को
तब तुझे पुकारने की भी
क्या दरकार थी मुझे
जब गिरने देता था तू मुझे
चोट खाने देता था तब
जब तू कहाँ था मुझसे
रत्ती भर भी तो मुक्त्तलिफ
आ दोस्त चल लौट चलें
फिर उसी मासूमियत को
जहाँ तोतले अल्फाज़ हों
और उजले ज़ज्बात हों
जहाँ तेरी मेरी दोस्ती हो
और दरमियाँ
न दुनिया का टोना टोटका हो
न समझ की गुफाएं हों
न गुरूर का घोंसला हो.....
कि महसूस कर सकता हूँ हर सिम्त तुझे
आज भी यकीन है मुझे
कि दौड़ा चला आएगा तू
मेरी बस एक पुकार पर
गर ठोकर खाऊंगा
तो गिरने से पहले ही तू
मुझे थाम लेगा बढ़ कर
आज भी इतने करीब है तू कि
वो सब बातें जो
कह नहीं पाता किसी से
बस तुझी को बता पाता हूँ मैं
कुछ मर्म जो छुपता हूँ
अक्सर खूद से भी
बस तुझी से छुपा नहीं पाता हूँ मैं
पर कभी जब हुआ करता था तू
कहीं बादलों के पार तब
मेरी आँखों में हर पल बसा करता था
बेमतलब बहते आंसुओं में
बेवजह की उन मुस्कुराहटों में
तू बरबस ही मुझे मिलता था
तब जब कुछ था ही नहीं छुपाने को
बातें कितनी होती थी बतियाने को
तब तुझे पुकारने की भी
क्या दरकार थी मुझे
जब गिरने देता था तू मुझे
चोट खाने देता था तब
जब तू कहाँ था मुझसे
रत्ती भर भी तो मुक्त्तलिफ
आ दोस्त चल लौट चलें
फिर उसी मासूमियत को
जहाँ तोतले अल्फाज़ हों
और उजले ज़ज्बात हों
जहाँ तेरी मेरी दोस्ती हो
और दरमियाँ
न दुनिया का टोना टोटका हो
न समझ की गुफाएं हों
न गुरूर का घोंसला हो.....
2 टिप्पणियां:
दोस्त के नाम ... लिखे ये शब्द बेहद कीमती हैं
अनुपम भावों का संगम ...
दोस्त के नाम ... लिखे ये शब्द बेहद कीमती हैं
अनुपम भावों का संगम ...
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