बिखरे हुए, ठहरे हुए,
जाने कितने लम्हें,
तन्हाई में याद आते हैं,
भूले बिसरे लम्हें,
भूली हुई शामें धुवां,
जागी हुईं रातें हसीं,
डायरी के इन पन्नों पे है,
उतरे उतरे लम्हें...
आँखों से टपका मोती कोई,
सागर में डूबा आँसू कोई,
वक्त यूँहीं बह जाता है,
और फक़त दे जाता है,
गुजरे दिनों के नाम पर,
कुतरे कुतरे लम्हें...
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