जहाँ चारों दिशाओं की दीवारें,
गिर जाती होंगींजहाँ बादलों पर सोते होंगें लोग,
जहाँ तारों पर चलते होंगें लोग,
जहाँ चाँद पर पिकनिक होती होगी,
सूरज का अलाव तापा जाता होगा,
इन्द्रधनुष जहाँ बच्चों का कोलंबस होगा,
राहू केतु खिलौने होंगें,
जहाँ प्रेम होगा हवाओं में,
विश्वास के पर्वत होंगें,
संतोष के फल लगते होंगें,
सपनों के पेड़ों में,
उम्मीदों के फूल महकते होंगें,
आशाओं के बाग में,
जहाँ लम्हों के समुन्दरों में,
खुशियों के मोती मिलते होंगें,
शायद ऐसा ही स्वर्ग है -
उस परम आत्मा में,
जहाँ विलीन होती है,
आत्माएं सभी....
1 टिप्पणी:
अहा अद्बुत स्वर्ग होगा..
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