यहाँ सगो-शीशों का संगे बसर तक,
मोहब्बत का जादू है, हर सूं नज़र तक,
यही है अदा जीने की मेरे दोस्त,
उम्मीदों के रोशन चिरागों की मानिंद,
रहो रोशना, जिंदगी की सेहर तक
कभी थक के बैठो न तुम एक पल भी,
उमंगों का तूफ़ान, लहरों सी मस्ती,
रहे दिल जवाँ, यूहीं ढलती उमर तक
मिले या ढले, कमियाबी के मौसम,
सपनों के फूलों की खुशबू न जाए,
महकते रहे, सांसों के हर सफर तक
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