मैं आज के हिंद का युवा हूँ,
मुझे आज के हिंद पर नाज़ है,
हिन्दी है मेरे हिंद की धड़कन,
सुनो, हिन्दी मेरी आवाज़ है.
संकीर्णतायें समाज की टूट रही है,
अब हिन्दी से परहेज किसे है,
कहने को अपनी बात, सशक्त शब्दों में,
भाषा मेरी अब अंग्रेजी की मोहताज नहीं है.
चाहे गीत लिखूं या कहूँ कोई कविता,
मेरे भाव, मेरी कल्पनाओं की परवाज है,
हिन्दी है मेरे हिंद की धड़कन ,
सुनो, हिन्दी मेरी आवाज़ है.
संस्कृत की गंगोत्री से निकलकर,
हमजुबां उर्दू से मिलकर,
ब्रजभाषा, मैथली, मारवाड़ी कहीं
तो कहीं अवधी, भोजपुरी में ढलकर,
सिन्धी, पंजाबी, हरियाणवी, गुजराती,
बंगला, और तमाम द्रविड़ भाषाओं से जुड़कर,
समस्त राष्ट्र को एक सूत्र मे बाँध रही है हिन्दी आज,
सरल है, समृद्ध है, सम्पूर्ण है मेरी हिन्दी आज,
अंतरजाल पर जब से आयी, छा गई है विश्वपटल पर,
गर्व से कहता हूँ मैं, मेरी हिन्दी भाषाओं में सरताज है
हिन्दी है मेरे हिंद की धड़कन ,
सुनो, हिन्दी मेरी आवाज़ है.
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