सोने की चिड़िया कैसी थी ?
माटी की गुड़िया ऎसी है -
होली के रंग उसने देखे होंगे,
मजहबी ज़ंग की ये साक्षी है,
अबीर -ओ- गुलाल में वो नहाती होगी,
नफरत के छींटों से दामन लाल है,
पिच्कारियों - गुब्बारों से प्यार बरसता होगा,
गोलियों -बरूदों से सीना छलनी है .
सोने की चिड़िया कैसी थी ?
माटी की गुड़िया ऎसी है.
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