ताज़ा गीत- love Story

10.3.08

एक किरदार

रोज सुबह जब वो देखता है,
अपने बच्चे की पीठ पर टंगा बस्ता,
तो उसकी छाती दो इंच फूल जाती है,
वह अपनी झुग्गी से लेकर,
किशना के स्कूल तक,
रोज पैदल ही उसे छोड़ने जाता है,

पूरे रास्ते किशना चुप रहता है,
और वह खुश हो होकर समझाता रहता है -
"रोज का पाठ रोज याद करना,
मैडम जी की बात मानना,
जो समझ में न आवे तो उठ कर पूछना,
तू पूछता ही नही है कुछ"

यूं भी उसका स्वर तेज़ है,
मगर उसकी आवाज़ उस गली से गुजरते वक्त
और तेज़ हो जाती है -
जहाँ कोठियाँ है बड़े बड़े रईसों की .

5 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

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सुनीता शानू ने कहा…

अपको होली बहुत-बहुत मुबारक हो सजीव जी...
क्या यहाँ लिखना बन्द किया हुआ है...

neeraj tripathi ने कहा…

Barhiya hai..

Neeraj Badhwar ने कहा…

खूबसूरत!

महेन ने कहा…

अद्भुत विचार…
गरीब की उम्मीद रईस की कोठी से बड़ी होती है।
शुभम।