ताज़ा गीत- love Story

24.9.07

ह्रदय

छुई मुई है ह्रदय,
छू लो तो मुरझा जाता है,
किरणों के पंख तो लग नही सकते,
फिर क्यों ये छूना चाहता है,
- सूरज की जलती आग को।

रेशमी धागों में देखो,
बाँधता ही जाता है पल पल,
रिश्तों के दल दल में देखो,
धंसता ही जाता है पल पल,
एक ख़्वाब जो टुटा तो क्या,
फिर नया ख़्याल पल पल,
मुझ से ही कुछ रूठा रूठा,
मेरा ही दर्पण वो पल पल।

और बारिशों के मौसमों मे,
शाखों से होकर गुजरना,
शबनमी अहसास लेकर,
पथरीली गलियों पे चलना,
भागती दुनिया से हटकर,
अपनी ही राहें पकड़ना,
शौक़ इसके हैं निराले,
कब तलक कोई संभाले,
क्या करूं, मुश्किल है लेकिन,
खुद से ही बचकर गुजरना।

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

क्या करूं, मुश्किल है लेकिन,
खुद से ही बचकर गुजरना।


--क्या बात है, बहुत खूब!! लिखते रहें. शुभकामनायें.

पारुल "पुखराज" ने कहा…

bahut khuub....

बेनामी ने कहा…

अगर अपने ब्लोग पर " कापी राइट सुरक्षित " लिखेगे तो आप उन ब्लोग लिखने वालो को आगाह करेगे जो केवल शोकिया या अज्ञानता से कापी कर रहें हैं ।

Mohinder56 ने कहा…

सजीव जी

सुन्दर लिखा है आपने

क्या करूं, मुश्किल है लेकिन,
खुद से ही बचकर गुजरना।

सच है जग से चाहे भाग ले कोई मन से भाग न पाये.

Vinod Kumar ने कहा…

bahut bdhiyaan likhete hain aap.

subhkaamnaayein.